Rbljaivikkhad farm kiraoli Agra (vermicomposting business)

खाद का बिजनेस (वर्मीकम्पोस्ट बनाने का व्यापर) 
Vermicompost production business 
केचुआ-300rs 1kg 8057176794
All over agra and native cities supply 
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केचुआ खाद (vermicompost) एक प्रकार का जैविक खाद या उर्वारक है. जोकि केचुए और अन्य प्रकार के कीड़ो के द्वारा जैविक अवशिष्ट पदार्थो को विघटित करके बनाया जाता है. ये एक प्रकार की गंधहीन, स्वच्छ और कार्बनिक पदार्थ(Organic material) से बना खाद है. इसमें कई प्रकार की सूक्ष्म पोषक तत्व( Micro Nutrient Element) जैसे – नाइट्रोजन, कैल्शियम, पोटाश जैसे आवश्यक तत्व इसमें पाये जाते है.

केचुआ खाद (Vermicompost) प्राकृतिक विधि से बने जाती है, इसीलिए इससे न ही खेतो को नुक्सान होता होता है और ना ही रासायनिक खाद का उपयोग जिससे खेतो की उर्वरक क्षमता बनी रहती है और खेत बंजर नही होते है. रासायनिक खाद का उपयोग ना करने से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है.
केचुआ के द्वारा निगला गया घास, कचरा, गोबर, मिट्टी आदि को पचा कर ये मॉल के रूप में बाहर निकालता है. ये कार्बनिक पदार्थ पिसी हुई अवस्था में होती है उसे ही केचुआ खाद कहते है.
केचुआ खाद (Vermicompost) बनाने के लिए उचित स्थान
केचुआ खाद (Vermicompost) को बनाने के लिए ऐसे जगह का चुनाव करना चाहिए जहाँ का वातावरण नम और छायादार हो क्योकि केचुआ खाद बनाने के लिए छायादार और नम वातावरण वाले स्थान की जरुरत होती है. केचुआ खाद का स्थान का चुअनाव करते समय पानी के स्त्रोत और जल निकास का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
किस मौसम में खाद बनाये
केचुआ खाद वैसे तो सभी लोग पुरे वर्ष बनाया करते है लेकिन सबसे उचित समय जब होता है जब मुसहर का तापमान लगभग 15 से 25 डिग्री हो. इस तापमान पर केचुए बहुत ही क्रियाशील होते है और खाद जल्दी बन जाती है.

केंचुओं के प्रजाति का चुनाव
जैसा कि हम सभी को पता है केचुओं की कई प्रजाति होती है और हम किसी भी प्रजाति से केचुआ खाद का निमार्ण कर सकते है. लेकिन किसानो के लिए सबसे अच्छी प्रजाति आइसीनिया फोटिडा है. इस जाति के केचुओं की आसानी से देख रेख हो जाता है.

केचुआ खाद बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
केचुआ खाद बनाने के लिए कई प्रकार के सामग्री की आवश्यकता पड़ती है जैसे –
1-केचुआ खड्ड बने के लिए अपने सुविधा अनुसार या 2 से 3 मीटर का गड्ढा
2--1 सेंटीमीटर आकर के छोटे छोटे कंकड़ और पत्थर गड्ढे को 3 इंच भरने         के लिए.
3---बालू मिट्टी गड्ढे को 3 इंच भरने के लिए
4----गोबर की खाद – 50 से 80 किलो
5----सूखे कार्बनिक – 40 से 60 किलोग्राम
6---खेती से निकला हुआ खास और कचरा – 120 से 140 किलोग्राम
7-----2000 केचुए
8-----पानी सुविधा के अनुसार

कैसे बनाये केचुआ खाद
केचुआ खाद को बनाने के लिए 6X3X3 फीट बने गड्ढे या लकड़ी के बक्से या प्लास्टिक के बने कैरेट का भी प्रयोग कर सकते है लेकिन पानी निकास का आवश्यक ध्यान रखना होगा.

✓✓सबसे पहले 2 से 3 इंच मोटी एक परत ईट या पत्थर के छोटे छोटे टुकड़ों को बिछाएं.
✓✓इसके बाद पत्थर के ऊपर बालू की 3 इंच मोटी एक परत और बिछाएं.
✓✓अब इसके बाद दोमट मिट्टी की 5 इंच की परत को बिछाते है.
✓✓मिट्टी की इस परत को पानी से नम करते है, और लगभग 50 से 60 % नम करते है.
✓✓ पानी से नम मिट्टी में प्रति वर्ग मीटर की डर से 1000 केचुओं को मिट्टी में डाल देते है.
✓✓इसके बाद मिट्टी के ऊपर ही गोबर के खाद को थोडा थोडा करके कई जगहों पर डाल देते है. इसके बाद गोबर के ऊपर घास, सूखे पत्ते डाल देते है.
✓✓अब इसको बोर या टाट से ढँक देते है और रोज उसमे पानी डालते रहते है. ये क्रिया लगभग एक महीने तक चलता रहता है
✓✓एक महीने के बाद ढंके टाट या बोर को हटा कर इससमे वानस्पतिक कचरा 6:4 के अनुपात में मिलाते है इसको 2 से 3 इंच मोटे परत के रूप में फैला देते है.
✓✓कचरे को डालते समय इसमें से प्लास्टिक, धातु और शीशे के टुकड़ों को निकाल देना चाहिये. इसके बाद पुनः ढक देना चाहिये तथा मिट्टी को नम रखने के लिये पानी डालते रहना चाहिय.
✓✓कचरे को हर सप्ताह में डालते रहना चाहिए और पानी को प्रतिदिन नमी के अनुसार डालते रहना चाहिए .
✓✓गड्ढा भर जाने के 45 दिन बाद केंचुआ खाद तैयार हो जाती है. इन 45 दिनों में कूड़े कचरे को सप्ताह में एक बार पलटते रहें तथा पानी देते रहें, 45वें दिन पानी देना बन्द कर दें, दो-तीन दिन बाद केंचुए वर्मीबेड में चले जायेंगे. ऐसा करने से बचे हुए केचुआ निचले पथरीले भाग में चले जायेंगे और आप खाद को निकाल सकते है.
✓✓केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) का उपयोग जरुरत के अनुसार करे. पहले उसे खुली हवा में सुखाकर 20 से 25 प्रतिशत नमी के साथ प्लास्टिक के थैले में भर लेते हैं.

केचुआ खाद के फायदे
©©केचुए के खाद को उपयोग करने के बहुत से फायदे है जो इस प्रकार है-  

©इसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व, हार्मोन्स व जैम भी पाये जाते है. जबकि उर्वरकों में केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश ही मिलते है.
केचुए के खाद का प्रभाव खेत में ज्यादा दिन तक बना रहता है और पौधों को पोषक तत्व मिला करता है जबकि उर्वरक का प्रभाव शीघ्र ही ख़त्म हो जाता है.
©©इसके प्रयोग से भूमि का विन्यास तथा संरचना सुधरती है, जबकि उर्वरक इसको बिगाड़ते हैं|
©©इससे भूमि जल्दी बंजर नही होगी जबकि उर्वर से जल्दी बंजर हो जाती है.
©©फसलों के लिये पूर्णतया नैसर्गिक खाद है, इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है.
©©भूमि अपरदन को कम करता है और पर्यावरण को सुरक्षित करता है.
©©फसलों के आकार, रंग, चमक तथा स्वाद में सुधार होता है, जमीन की उत्पादन क्षमता बढ़ती है, फल स्वरूप उत्पाद गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है.
©©जमीन के अन्दर हवा का संचार बढाती है.

केचुआ खाद बनाते समय सावधानियां
©©गड्ढा छायादार और थोडा ऊँचे स्थान पर होना चाहिये.
©©लकड़ी के बक्से या प्लास्टिक कैरेट में छेद आवश्य करे ताकि पानी न रुके.
©©गड्ढे में हमेशा नमी बनाये रखे.
©©केचुआ खाद में किसी भी तरह के रासायन का इस्तेमाल न करे.
©©खाद को हाथ से अलग करे तंत्र का प्रयोग न करे. जिससे केंचुए मरे 
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